दोस्त कामयाब होने के लिए जुनून का होना बेहद जरूरी है मैं एक छोटी सी कहानी आपको सुनाना चाहता हूं ताकि आप जान इंडियन क्रिकेटर टीम के कप्तान विराट कोहली को तो आप सभी जानते होंगे पर क्या यह बात जानते हैं कि एक साधारण सा लड़का इंडियन क्रिकेट टीम का कप्तान कैसे बनता है वह किस मुश्किलों और हालात से लड़कर कामयाबी के इस मुकाम तक पहुंचा ?
दरअसल जब विराट कोहली 18 वर्ष के थे तब वो रणजी ट्राफी में दिल्ली की तरफ से क्रिकेट खेलते थे 1 दिन विराट टेस्ट मैच खेलकर घर लौटे तो पता चला कि उनके पिता का मृत्यु कुछ देर पहलेे हो चुकी है शाम का समय था इसलिए अगले दिन दाह संस्कार होना था हिंदू धर्म में पिताा के दाह संस्कार में बेटे का हना बहुत जरूरी मानाा जाता है लेकिन अगले दिन विराट कर रंजीत ट्रैफिक के उस टेस्ट मैच मेंं खेलना बहुत जरूरी था जिसमें वह कर्नाटक के खिलाफ बैटिंग कर रहे थे पूरे परिवार में इस बात को लेकर चर्चा थी कि कल विराट टेस्ट मैच खेलने जाएगा या नहीं विराट बड़े असमंजस केे इस स्थिति में थे एक तरफ उनके पिताजी थे जिन्हें तो बहुत प्यार करते थे तो दूसरी तरफ विराट जो उनकी जिंदगी जुनून सब कुछ था जब विराट ने अपनी मां सेे पूछा की मैं कल मैच खेलनेेे जाऊं या नहीं... तब मां ने जवाब दिया कि बेटा मेरी तरफ से कोई दवाब नहीं है तुम्हें जैसा ठीक लगे वैसा करो
अगले दिन विराट जब मैच खेलने पहुंचे तो उनकी टीम के कोच ने मैच
कामयाबी के लिए जरूरी है जुनून
खेलने में मना किया लेकिन विराट का क्रिकेट के प्रवेश जुनून इतना ज्यादा था कि अपनेेे लक्ष्य पर अडिग रहे उस मैच को विराट ने इस तरह अकेला कि वह मैं हमेशा के लिए यादगार बन गया बाद में विराट से दें श्मशान घाट पहुंचे और पिता का दाह संस्कार किया
उस दिन लोगों को विराट का अंदर क्रिकेट का वह जुनून दिखा उसे जुनून ने इंडिया क्रिकेट टीम का कप्तान बना दिया
यदि आप जीवन में कामयाब होना चाहते हैं ऊंचे से ऊंचे पद हासिल करना चाहते हैं तो अपने काम के परित जुनून पैदा करें तभी आप सफल हो पाएंगे |
' जुनून और जेब से मिलती है जीत की मंजिल\"
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( संजीव छिब्बर )
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